कोरोनावायरस (Coronavirus) का नाम सुनते ही मन में एक अनजानी सी आशंका और गुजरे वक्त की भयावह तस्वीरें कौंध जाती हैं। हालांकि, हम उस दौर से काफी आगे निकल आए हैं।
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विशेषज्ञ द्वारा बताया गया कि यह कितना ज्यादा भयावह है। और सुरक्षा के निर्देश भी दिए। |
लेकिन यह वायरस पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, बल्कि समय-समय पर अपने नए रूपों में दस्तक देता रहता है। हाल ही में, देश में कोविड-19 (COVID-19) के सक्रिय मामलों में एक बार फिर थोड़ी हलचल देखने को मिली है, जिसने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम जनता का ध्यान अपनी ओर खींचा है। आइए, इस बदलते परिदृश्य को गहराई से समझते हैं, जानते हैं नए सबवेरिएंट्स के बारे में, उनसे जुड़े जोखिमों को और सबसे महत्वपूर्ण, हमें किन बातों का ध्यान रखना है।
देश में कोविड की वर्तमान स्थिति आंकड़ों की जुबानी
पिछले कुछ समय से कोविड के मामलों में स्थिरता बनी हुई थी, लेकिन हालिया रिपोर्ट कुछ और ही बयां कर रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में फिलहाल 109 सक्रिय कोविड मामलों की पुष्टि हुई है। यह आंकड़ा एक हफ्ते पहले, यानी 19 मई को दर्ज किए गए 257 मामलों की तुलना में काफी कम है, जो एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, कुछ राज्यों में मामलों में विशेष उछाल देखा गया है। केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली इस सूची में प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पुदुचेरी, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गोवा जैसे राज्यों में भी कोविड मामलों की पुष्टि हुई है।
एक प्रतिष्ठित आर्थिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार, 19 मई से अब तक कोविड के कारण सात लोगों की दुखद मृत्यु भी हुई है। परंतु, यह जानना महत्वपूर्ण है कि ये सभी मृतक अन्य गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, हृदय रोग और सांस संबंधी तकलीफों से भी जूझ रहे थे। यह तथ्य इस ओर इशारा करता है कि कोविड संक्रमण उन लोगों के लिए अधिक घातक साबित हो सकता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले से ही कमजोर है।
नए मेहमान सबवेरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7
कोविड-19 के वायरस की यह खासियत है कि यह लगातार म्यूटेट होता रहता है, यानी अपने स्वरूप में बदलाव करता रहता है। इन्हीं बदलावों के परिणामस्वरूप नए वेरिएंट्स और सबवेरिएंट्स जन्म लेते हैं। "इंडिया टुडे" से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालिया मामलों में मुख्य रूप से दो नए सबवेरिएंट्स की पहचान हुई है: NB.1.8.1 और LF.7। यह जानकारी इंडियन कंसोर्टियम टू स्टडी एंड मॉनिटर कोविड-19 जीनोम (इंसेक) द्वारा जुटाए गए डाटा से सामने आई है। बताया जा रहा है कि ये दोनों सबवेरिएंट्स XBB.1.16 वेरिएंट से ही निकले हैं, जो स्वयं ओमिक्रॉन का एक रूप है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी इन नए सबवेरिएंट्स पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। इन्हें फिलहाल "वेरिएंट्स अंडर मॉनिटरिंग" (Variants Under Monitoring - VUM) की श्रेणी में रखा गया है। इस श्रेणी में उन वेरिएंट्स को शामिल किया जाता है जिनके म्यूटेशन से वायरस के व्यवहार, जैसे कि संक्रमण फैलाने की क्षमता या गंभीरता, पर असर पड़ सकता है। राहत की बात यह है कि अभी तक इन्हें "वेरिएंट्स ऑफ कंसर्न" (Variants of Concern - VOC) यानी चिंताजनक वेरिएंट्स की श्रेणी में नहीं डाला गया है।
क्या कहते हैं शुरुआती अध्ययन?
इन नए सबवेरिएंट्स पर हुए शुरुआती अध्ययनों से कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं:~
- तेजी से फैलने की क्षमता: ऐसा माना जा रहा है कि ये सबवेरिएंट्स पहले के वेरिएंट्स की तुलना में अधिक तेजी से फैल सकते हैं।
- इम्यून सिस्टम को चकमा देने में माहिर: इनमें इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) से बचने की क्षमता भी अधिक हो सकती है, यानी वैक्सीन या पिछले संक्रमण से बनी इम्यूनिटी को ये कुछ हद तक भेद सकते हैं।
- NB.1.8.1 के स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन: विशेष रूप से NB.1.8.1 सबवेरिएंट में तीन तरह के स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन पाए गए हैं। स्पाइक प्रोटीन वायरस का वह हिस्सा होता है जिसके जरिए वह मानव कोशिकाओं में प्रवेश करता है। इन म्यूटेशनों ने इसकी संक्रमण फैलाने की क्षमता को और बढ़ा दिया है।
- इन चिंताओं के बीच एक अच्छी खबर यह है कि अब तक के आंकड़ों के अनुसार, ये नए सबवेरिएंट्स गंभीर लक्षण पैदा नहीं कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से 25 मई को पीटीआई में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया कि संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता आमतौर पर नहीं पड़ रही है। अधिकांश मरीज घर पर ही रहकर सामान्य देखभाल से ठीक हो रहे हैं।
सावधानियां बचाव ही सर्वोत्तम उपाय
कोविड हो या कोई अन्य संक्रामक रोग, बचाव के उपाय हमेशा कारगर साबित होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड एक श्वसन संबंधी वायरस है, जो नाक या मुंह के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है और मुख्य रूप से हमारे श्वसन तंत्र और फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह किसी भी सामान्य वायरल संक्रमण की तरह सांस की तकलीफ को बढ़ा सकता है या मौजूदा सांस की बीमारियों को गंभीर बना सकता है।
विशेषज्ञों की सलाह है कि निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाए:~
- मास्क का प्रयोग खासकर उन लोगों के लिए मास्क पहनना महत्वपूर्ण है जो पहले से किसी गंभीर बीमारी (जैसे कैंसर, हृदय रोग) से पीड़ित हैं, बुजुर्ग हैं, बच्चे हैं या गर्भवती महिलाएं हैं। यदि ऐसे लोग भीड़भाड़ वाली जगहों पर जा रहे हैं, तो मास्क उन्हें सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
- बीमार होने पर जिम्मेदारी यदि किसी व्यक्ति को बुखार, खांसी, जुकाम या सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो उन्हें दूसरों की सुरक्षा के लिए मास्क अवश्य पहनना चाहिए और यथासंभव खुद को आइसोलेट करना चाहिए।
- वेंटिलेशन बंद जगहों पर हवा का उचित प्रवाह सुनिश्चित करें। खिड़कियां और दरवाजे खोलकर रखें ताकि ताजी हवा आ सके।
- हाथों की स्वच्छता: नियमित रूप से साबुन और पानी से हाथ धोएं या अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर का उपयोग करें।
- टीकाकरण और बूस्टर डोज़ जिन लोगों ने अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई है या जिनकी बूस्टर डोज़ लंबित है, उन्हें इसे प्राथमिकता के आधार पर लगवा लेना चाहिए। टीके गंभीर बीमारी और मृत्यु से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हर्ड इम्यूनिटी कितनी सुरक्षा?
जब कोरोना की पहली और दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तब "हर्ड इम्यूनिटी" शब्द काफी चर्चा में आया था। हर्ड इम्यूनिटी का सीधा सा अर्थ है कि जब आबादी का एक बड़ा हिस्सा किसी वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षित हो जाता है (या तो संक्रमण से या टीकाकरण से), तो वायरस का प्रसार अपने आप धीमा पड़ जाता है। जब अधिकांश लोग सुरक्षित होते हैं, तो उन्हें आमतौर पर हल्के लक्षण ही होते हैं, वे अधिक संक्रामक नहीं होते और उनमें गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है।
भारत में व्यापक टीकाकरण अभियान और बड़ी संख्या में लोगों के पहले संक्रमित हो चुकने के कारण हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति काफी मजबूत है। इसी कारण, नए वेरिएंट्स के आने के बावजूद गंभीर मामलों या मौतों में वैसी वृद्धि नहीं देखी जा रही है जैसी पहले देखी गई थी। हालांकि, यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर्ड इम्यूनिटी का मतलब यह नहीं है कि संक्रमण बिल्कुल नहीं होगा। नए वेरिएंट्स, अपनी बदली हुई प्रकृति के कारण, वैक्सीनेटेड या पहले संक्रमित हो चुके लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकते हैं, लेकिन ऐसे मामलों में बीमारी की गंभीरता आमतौर पर कम होती है। अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
किन्हें है अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता?
जैसा कि पहले भी बताया गया है, कुछ समूह ऐसे हैं जिन्हें कोविड संक्रमण का खतरा अधिक होता है और जिनमें बीमारी गंभीर रूप ले सकती है:~
- बुजुर्ग व्यक्ति: बढ़ती उम्र के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाती है।
- गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग: कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, किडनी की बीमारी या फेफड़ों की पुरानी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
- कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग: कुछ विशेष दवाइयों (जैसे स्टेरॉयड्स या कीमोथेरेपी) के कारण या कुछ खास स्वास्थ्य स्थितियों (जैसे एचआईवी) के चलते जिनकी इम्यूनिटी कमजोर हो, उन्हें भी सतर्क रहना चाहिए।
- गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे: इन्हें भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
इन समूहों के लोगों को भीड़भाड़ से बचना चाहिए, मास्क का सही उपयोग करना चाहिए और कोविड के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान
कोविड की खबरों से कई बार मन में चिंता और घबराहट होना स्वाभाविक है। गुजरे दो-तीन सालों में हमने जो देखा और महसूस किया है, उसकी यादें आसानी से नहीं जातीं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम अपनी शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक सेहत का भी ध्यान रखें। विश्वसनीय स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें, अफवाहों पर ध्यान न दें और यदि आवश्यक हो तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से बात करने में संकोच न करें।
निष्कर्ष संयम और सतर्कता हैं कुंजी
कुल मिलाकर, कोविड-19 के नए सबवेरिएंट्स की दस्तक एक अनुस्मारक है कि यह वायरस अभी हमारे बीच मौजूद है। हालांकि, वर्तमान स्थिति पिछली लहरों जितनी भयावह नहीं है। इसका श्रेय व्यापक टीकाकरण, विकसित हुई हर्ड इम्यूनिटी और वायरस के स्वरूप में आए बदलावों (कम गंभीर लक्षण) को जाता है। हमें घबराने की बिल्कुल आवश्यकता नहीं है, लेकिन लापरवाही भी नहीं करनी चाहिए।
बुनियादी सावधानियों का पालन करना, जैसे कि लक्षण दिखने पर मास्क पहनना, स्वच्छता बनाए रखना, और सबसे महत्वपूर्ण, अपनी वैक्सीनेशन और बूस्टर डोज़ को समय पर पूरा करना, हमें और हमारे समाज को सुरक्षित रखने में मदद करेगा। यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को लक्षण दिखाई देते हैं, तो चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें। याद रखें, जानकारी, सावधानी और संयम ही इस लड़ाई में हमारे सबसे बड़े हथियार हैं।