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ऑटो ड्राईवर जिन्होंने मराठी बोलने पर साफ मना कर दिए। |
मुंबई, 8 जुलाई, 2025 - महाराष्ट्र में इन दिनों भाषा को लेकर चल रहा विवाद गहराता जा रहा है। इसी कड़ी में मुंबई के विरार रेलवे स्टेशन के बाहर एक ऑटो ड्राइवर और एक बाइक सवार के बीच हुई बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस बहस का मुद्दा मराठी भाषा बोलने को लेकर था, जिसमें ऑटो ड्राइवर ने खुले तौर पर मराठी बोलने से इनकार कर दिया और केवल हिंदी और भोजपुरी में बात करने पर अड़ा रहा। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठी न बोलने वालों के साथ मारपीट की खबरें लगातार आ रही हैं, जिससे यह वीडियो और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
भाषा विवाद की जड़ें और राजनीतिक बयानबाजी
यह घटना महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहे लंबे समय से चले आ रहे विवाद को और हवा देती है। राजनीतिक गलियारों से भी इस मुद्दे पर लगातार बयानबाजी हो रही है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से सांसद और भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने भी स्पष्ट तौर पर कहा था कि वह महाराष्ट्र में मराठी नहीं बोलेंगे और जिसे हिम्मत हो वह उन्हें महाराष्ट्र से निकाल कर दिखा दें। वहीं, बीजेपी सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर ट्वीट कर कहा था,
"हिंदी भाषी लोगों को मुंबई में मारने वालों में यदि हिम्मत है तो महाराष्ट्र में उर्दू भाषियों को मार कर दिखाओ। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है।" इस तरह के बयान भाषा विवाद को और भड़का रहे हैं और एक संवेदनशील स्थिति पैदा कर रहे हैं।
उद्धव-राज की रैली और 'थ्री लैंग्वेज पॉलिसी' का प्रभाव
भाषा विवाद को हवा देने में हाल ही में मुंबई के वर्ली डोम हॉल में आयोजित उद्धव और राज की संयुक्त रैली का भी बड़ा हाथ है। इस रैली को फडनवीस सरकार द्वारा 'थ्री लैंग्वेज पॉलिसी' वाले प्रस्ताव को वापस लिए जाने के सांकेतिक जश्न के तौर पर रखा गया था। इस प्रस्ताव का वापस लिया जाना कुछ वर्गों के लिए जीत के समान था,
लेकिन इसने भाषाई तनाव को और बढ़ा दिया है। इस रैली के बाद से ही भाषा को लेकर बयानों का सिलसिला और तेज हो गया है, जिससे महाराष्ट्र में भाषाई आधार पर विभाजन की स्थिति पैदा हो रही है।
जन प्रतिक्रिया और आगे की राह
ऑटो ड्राइवर के इस वायरल वीडियो को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग ऑटो ड्राइवर की 'हिम्मत' की दाद दे रहे हैं और इसे हिंदी और भोजपुरी भाषी लोगों की आत्म-सम्मान की लड़ाई बता रहे हैं।
- वहीं, कुछ लोग ऑटो ड्राइवर के 'बर्ताव' पर सवाल उठा रहे हैं और इसे भाषाई सौहार्द बिगाड़ने वाला कदम मान रहे हैं।
- यह पूरा घटनाक्रम महाराष्ट्र की भाषाई विविधता और उससे उत्पन्न होने वाले तनाव को उजागर करता है।
- जहां एक ओर मराठी अस्मिता की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर हिंदी और अन्य भाषाओं को बोलने वालों के अधिकारों का भी मुद्दा उठ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह भाषा विवाद आगे क्या मोड़ लेता है
- क्या राज्य सरकार और विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर कोई सर्वमान्य समाधान निकाल पाते हैं। इस संवेदनशील स्थिति में सभी पक्षों को संयम बरतने और भाषाई सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता है।
- आप इस मुद्दे पर अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में भेज सकते हैं।